चंद्रयान-2 का चंद्रमा में पहुंचना ही इसरो की 90 प्रतिशत सफलता है। हमारा चंद्रयान पूरी तरह सफल रहा। चंद्रयान से अलग होने वाला रोवर सिर्फ उसका एक पार्ट ही मात्र था। सेटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा से बाहर छोड़ना बड़ा कार्य है। पूरी टीम का वर्क और माइंड काम करता है, तब कहीं जाकर हम सफल हो पाते हैं। इसरो कभी हारता नहीं है, वो हर गलतियों से सीखता है और उससे बेहतर तैयारी के साथ काम करता है। यह बातें भिलाई पहुंचीं इसरो वैज्ञानिक पूर्णिमा सावरगांवकर ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान कही।
छत से 4 महीने की सब्जी और फल लेती हैं पूर्णिमा
पूर्णिमा ने बताया कि वे अपने छत से सब्जी और फल दोनों लेती हैं। बगैर रासायनिक उर्वरक के उगाई सब्जियों व फल का सेवन करने से सेहत अच्छा रहता है। पूर्णिमा ने छात्रों को बताया कि पौधरोपण करना हो तो पहले कम से कम 3 फिट का गड्ढा खोदें, उसमें गौमूत्र, गोबर, पक्षियों के बीट, पैरा, पांच प्रकार के पेड़ों के सूखे पत्ते व बरगद के नीचे की मिट्टी मिलाकर गड्ढे में डाल दें। गड्ढे में 3 फिट की सीसी पाइप लगाएं। इससे पेड़ के तने तक पानी पहुंचता रहेगा।
ट्विनसिटी को कचरा मुक्त कराने दिए पांच मंत्र
- जिंदगी से सिंगल यूज प्लास्टिक हटा दिजिए।
- आपके किचन से निकलने वाला गीला और सूखा कचरा को मिक्स न करें।
- कचरों को रिसोर्स के नजरिए से देखे, कचरे के नजरिए से नहीं।
- कचरे को अपने ही घरों में कंपोस्ट करें।
- हर वेस्ट की वैल्यू होती है, आप किस तरह उसे यूज कर सकते हैं उसे सोचिए।
साढे 8 साल से घर से बाहर नहीं निकाला कचरा
पूर्णिमा का घर पिछले साढ़े आठ सालों से जीरो वेस्ट हाउस है। उन्होंने अपने घर का एक कचरा आज तक बाहर नहीं फेंका। वे घर में ही एंजाइम, मिट्टी, सब्जियां और अन्य सामग्री वेस्ट मटेरियल से तैयार कर लेती हैं। पूर्णिमा सावरगांवकर वेस्ट किचन गार्डन के क्षेत्र में काम कर रही हैं। शंकराचार्य कॉलेज जुनवानी में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और वेस्ट किचन गार्डन प्रोजेक्ट की प्लानिंग को समझाया।